गा.वि.स.हरूको विशेषता
धनकुटा जिल्लाका गा.वि.स.हरूको आ-आफ्नो विशेषताको झलक निम्न अनुसार रहेको छ :
क्र.सं. | गा.वि.स.को नाम | विशेषता | कैफियत |
१ | खोकु | सुन्तला खेती | |
२ | मुगा | पुरानो प्रख्यात राम मन्दिर | |
३ | आहाले | अदुवा खेती, र्राईको बाहुल्य, जिल्लाको सवैभन्दा होचो भू-भाग भएको स्थान | |
४ | मुढेबास | मगर बस्तीको बाहुल्य, हर्रा नाच | |
५ | कुरुलेतेनुपा | एस.एल.सी. माथि धेरै पढेका व्यक्तिहरू भएको गा.वि.स., शिक्षाको पुरानो थलो, ऐतिहासिक कुरुले गढी, चौबिसे क्षेत्रको बढी उत्पादन हुने गा.वि.स. | |
६ | मौनाबुधुक | धनकुटा जिल्लाको पहिलो उच्च मा.वि. स्थापना | |
७ | राजारानी | मार्कपार्क ताल | |
८ | डाँडाबजार | एसियाको ठूलो बरको रुख र ध्वजेडाँडा (सूर्योदय हेर्नका लागि) | |
९ | बोधे | हंसमोरङ | |
१० | खुवाफोक | १००० वर्षपुरानो सखुवाको रुख भएको | |
११ | फाक्सिब | क्षेत्रफलको हिसाबले सानो र भिरालो जमिन भएको गा.वि.स. | |
१२ | बुढीमोरङ | जिल्लामा सवैभन्दा बढी टमाटर उत्पादन हुने गा.वि.स. | |
१३ | बेलहारा | मूलघाटको आँप, विश्रान्ति मन्दिर, चिया खेती | |
१४ | भेडेटार | पर्यटकीय दृष्टिले महत्वपूर्ण, तराइबाट नजिकको चिसो भू-भाग | |
१५ | महाभारत | अदुवा खेतीका लागि प्रसिद्ध | |
१६ | आँखीसल्ला | वेतबाँस उधोग | |
१७ | छिन्ताङ | सहिद भूमि, काष्ठकला, ठूलो गा.वि.स., प्रसिद्ध छिन्ताङ देवी मन्दिर | |
१८ | भीरगाउँ | मधुगंगा मन्दिर, चिया खेतीको सुरुवात, जिल्लाको एकमात्र विधुत पावर हाउस | |
१९ | ध.न.पा. | आठपहरिया रार्ईको बस्ती, पुरानो गौंडा, पुर्वाञ्चल सदरमुकाम | |
२० | तांखुवा | लेकदेखि तमोरसम्म फैलिएको | |
२१ | परेवादिन | दूध तथा तरकारी उत्पादनमा अग्रणी | |
२२ | तेलिया | बदाम खेती | |
२३ | पाख्रीबास | पाख्रीबास कृषि अनुसन्धान केन्द्र, वनभोज पार्क | |
२४ | घोर्लीखर्क | डिकुरे गढी | |
२५ | सान्ने | सबैभन्दा बढी धान फल्ने गा.वि.स. | |
२६ | मर्तिढुङ्गा | जिल्लाको सबैभन्दा अग्लो ठाउँ, बहुमुखी अल्लो उधोग भएको, चुनढुङ्गा पाउने | |
२७ | लेगुवा | नागेश्वर मन्दिर, जिल्लाको लामो झोलुङ्गे पुल | |
२८ | मारेककटहरे | अलैंची, आलु, अल्लो प्रसस्त पाइने ठाउँ, सबैभन्दा बढी दुग्ध उत्पादन | |
२९ | डाँडागाउँ | अल्लो, अलैंची पाउने ठाउँ | |
३० | चुङमाङ, मुगा (मुगा खोला) | ३ वटा सिंचाइ कुलाका लागि पुग्ने पानी एकै मुहानबाट निस्कने |